24 घंटे सील रहा हरियाणा का यह गांव, प्रवेश करने और बाहर जाने पर था रोक, जानें क्यों है वह्जे

24 घंटे सील रहा हरियाणा का यह गांव, प्रवेश करने और बाहर जाने पर था रोक, जानें क्यों है वह्जे

हरियाणा के रोहतक जिले के लाखन माजरा खंड का खरक जाटान गांव 24 घंटे तक सील रहा। इस दौरान गांव में न तो कोई अंदर आ सका और न ही कोई गांव से बाहर जा सका। 24 घंटे पूरे गांव में लोग फुर्सत में रहे। घर व खेत के सभी काम काज पहले ही दिन निपटा लिए गए थे। शुक्रवार रात को 12 बजे के बाद गांव की सभी सीमाएं सील कर दी गई। गांव की सीमाओं पर युवाओं की ड्यूटी लगा दी गई। शनिवार रात को 12 बजे के बाद गांव की सीमाएं खोल दी गई। 

गांव में एकजुट होकर लोग जोगी रांझा गाते हैं। रांझा वर्तमान पाकिस्तान के तख्त हजारा गांव का रहने वाला था और वह पशुओं का पाली था। उसकी प्रेमिका हीर वहां के जनसाले गांव की थी। रांझा पशुओं का प्रेमी था, इसलिए मान्यता है कि रांझा का गुणगान करने से पशु स्वस्थ रहते हैं। इस दौरान लगातार तीन दिन तक गांव में गुगल धूप का धुंआ किया जाता है। पूरे गांव में धूप खेने के बाद बीमारियां समाप्त हो जाती हैं।

परंपरा निभाई
गांववासी बिजेंद्र जांगड़ा ने बताया कि जब से गांव बसा है, तब से लेकर आज तक लगातार यह परंपरा उनके गांव में चली आ रही है। हर साल भाद्रपद महीने के तीसरे शनिवार को गांव की सीमाएं सील की जाती हैं। गांव में हवन यज्ञ होता है। गांव में किसी के घर चूल्हा नहीं जलाया जाता। पहले दिन ही तैयार किए गए मीठे पकवान ही ग्रामीण इस दिन खाते हैं। पूरा गांव एक जगह पर एकत्रित होता है, जहां पर धूणा लगाया जाता है। 

परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को गांव से बाहर सोना पड़ा

गांव के एक बुजुर्ग बताते हैं कि वैसे तो हम अब 21वीं सदी में जी रहे हैं। उनके गांव में लगाया जाने वाले इस बंद का वैज्ञानिक आधार तो नहीं है। लेकिन गांव में शुरू से ही यह परंपरा चली आ रही है। जिसके चलते एक दिन सब रेस्ट कर लेते हैं। यह भावना से जुड़ा हुआ मसला है। लेकिन इस दौरान काफी दिक्कत भी होती है। जिन बच्चों को परीक्षा देने के लिए शनिवार को जाना था। उनको शुक्रवार को ही गांव से बाहर सुलाया गया, ताकि शनिवार सुबह उनको परीक्षा देने में दिक्कत न आए। किसी का साक्षात्कार होता है, किसी कि डॉक्टर के पास एप्वाइंटमेंट होती है। बहुत सी परेशानियां आती हैं।

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