Is Jamwant Of Ramayan Still Alive: क्या कलयुग में भी जिंदा है रामायण के जामवंत! मध्य प्रदेश में बसाई थी नगरी

Is Jamwant Of Ramayan Still Alive: क्या रामायण के जामवंत आज भी जिन्दा हैं, अगर जामवंत जीवित हैं तो कहां रहते हैं? क्या जामवंत अमर हैं? ऐसे कई सवाल उन जिज्ञासु लोगों के मन में हमेशा चलते रहते हैं जिन्हे हिन्दू माइथॉलजी को समझने में दिलचस्पी है. 

सनातनी पुराणों के अनुसार कलयुग में भी कई ऋषि-मुनि, तपस्वी, देवता और महापुरुष आज भी कलयुग में सशरीर जीवित हैं. बात जब पौराणिक काल के अमर महापुरुषों की होती है तो भगवान हनुमान, भगवान परशुराम, मार्कण्डेय ऋषि, वेद व्यास, महाभारत के अश्वत्थामा, रामायण के विभीषण, कृपाचार्य और हनुमान जी को उनके बल की याद दिलाने वाले महा बुद्धिमान जामवंत का नाम सबसे पहले आता है. 

जामवंत कौन है 

Who Is Jamwant: जामवंत एक महाज्ञानी आधे मनुष्य और आधे रीछ हैं. कह लीजिये कि धरती में मन्युष्य के अलावा कोई बुद्धिमान प्राणी थे वो वह जामवंत थे. जो अपनी प्रजाति एक एकलौते बुद्धिमान जीवित प्राणी थे. उन्हें वेदों और उपनिषदों का सम्पूर्ण ज्ञान था. 

भगवान परशुराम और हनुमान जी के पहले जामवंत ऐसे प्राणी थे जिनका तीन युगों में होने का वर्णन पुराणों और सनातनी धर्म ग्रंथों में मिलता है. पुराणों के अनुसार जामवंत आज भी जीवित हैं क्योंकि वह भी अमर हैं. 

जामवंत का जन्म कब हुआ था 

When Jamwant Of Ramayana Born: जामवंत का जन्म पहले युग में मतलब सतयुग में राजा बलि के काल में हुआ था. उनकी उम्र हनुमान जी और परशुराम से अधिक है. जामवंत परशुराम के पहले इस धरती में जन्म लिए थे और उनके पहले राजा बलि ने जन्म लिया था. जामवंत की माता एक गन्धर्व कन्या थीं, उनका जन्म अग्निपुत्र के रूप में देवासुर संग्राम में देवताओं की मदद के लिए हुआ था. 

क्या जामवंत आधे भालू और आधे मानव थे 

 पुराणों में लिखा है कि ब्रह्मा ने ऐसे जीव का निर्माण किया था जो दो पैरों पर चल सके और संवाद कर सके,  इसी लिए उन्होंने आधे रीछ और आधे मानव के शरीर वाले जामवंत को बनाया था. 

यहां आप इस कहानी के पीछे के विज्ञान को देखेंगे तो पता चलेगा जिस तरह मानव जाति का विकास बंदरों या वानरों से हुआ उसी तरह अन्य प्राणियों का भी एवोल्यूशन हुआ. वैसे ही रीछ का एवोल्यूशन भी हुआ होगा और जामवंत उस अलग मानव प्रजाति के आखिरी वंशज या एकलौते होंगे। 

जामवंत एक योद्धा थे, जो बुद्धिमान  और सर्वशक्तिशाली थे. उनके बल के आगे श्री हनुमान का बल भी कम था. लेकिन रामायण के वक़्त वह काफी बुजुर्ग हो गए थे. इसी लिए जब बात समुद्र लांघने की आई थी तब जामवंत से ऐसा करने की प्रार्थना की गई थी. तब उन्होंने हनुमान जी को उनकी शक्तियों के बारे में याद दिलाई थी. जामवंत ने ही हनुमान जी को हिमालय में पाए जाने वाली संजीवनी के बारे में बताया था वे भगवान राम की वानर सेना का प्रतिनिधित्व करते थे. 

क्या जामवंत आज भी जिन्दा हैं 

Is Jamwant Still Alive: ऐसा कहा जाता है कि जामवंत का शरीर रावण जितना ही विशाल था. जब श्री राम  लंका के युद्ध में विजयी हुए तो जामवंत को अहंकार हो गया. जिसके बाद श्री राम ने उन्हें अलग रूप धारण करके तपस्या करने का आदेश दिया था. 

क्या कोहिनूर हीरा जामवंत के पास था 

ऐसा कहा जाता है कि कोहिनूर हीरा को जामवंत ने ही धारण किया था. तब इस हीरे को स्यमंतक मणि कहा जाता था. इस मणि को हासिल करने के लिए श्री कृष्ण को द्वापरयुग में जामवंत से युद्ध करना पड़ा था. 

युद्ध में जब जामवंत हारने लगे तो श्री राम को याद किया, जिसके बाद कृष्ण ने रामावतार लिया और जामवंत ने आत्मसमर्पण कर दिया। और वह मणि श्री कृष्ण को देदी। और अपनी पुत्री का विवाह उनसे करने का निवेदन किया। 

जामवंत का श्रीकृष्ण से युद्ध क्यों हुआ था 

Why Jamwant Had Fight With Lord Krishna: पुराणों के अनुसार सूर्य ने श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा के पिता सत्राजीत को स्यमंतक मणि दी थी. जिसे उन्होंने अपने देवघर में रखा था, जहां उनके भाई उस मणि को पहनकर जंगल में चले गए थे. इसी दौरान उनके घोड़े की मौत हो गई और जामवंत ने उस मणि को अपने पास रख लिया  और बाद में अपने बेटे को खिलोने के रूप में भेंट कर दिया। सत्राजित ने श्री कृष्ण पर उस मणि के चोरी करने का आरोप लगा दिया था, उसी मणि को हासिल करने के लिए दोनों के बीच में युद्ध हुआ था. 

जामवंत ज़िंदा है तो कहां हैं 

If Jamwant Is Still Alive So Where Does He Lives: ऐसा कहा जाता है कि जामवंत ने जम्बूद्वीप मतलब मध्य प्रदेश के रतलाम क्षेत्र में जामथुन नगरी बसाई थी. इस बात के लिए जब खोज शुरू हुई तो यहां एक प्राचीन गुफा मिली। उसी गुफा को जामवंत का घर माना जाता है जिसे लोग जामवंत गुफा यानी Jamwant Cave के नाम से जानते हैं. वहीं ऐसी ही एक गुफा यूपी के बरेली के पास मिली है. 

विंध्यांचल में हैं जामवंत और श्री गणेश की अद्भुत प्रतिमा 

कहा जाता है की इन्ही गुफाओं में जामवंत हज़ारों सालों तक रहे, विंध्यांचल की पहाड़ियों में पुराकाल से श्री गणेश और जामवंत की प्रतिमा है जो हर साल एक तिल जितना बढ़ती है. 

जामवंत की तपोस्थली कहां थी 

जम्मू-कश्मीर के जम्मू नगर में एक प्राचीन गुफा है, जिसे पीर खोह के नाम से जाना जाता है. इस गुफा में कई ऋषि-मुनियों और बाद में पीर-फकीरों ने तप किया था. यह जामवंत की भी तपोस्थली है. इसी गुफा में एक शिव मंदिर भी है. 

 

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