Mumbai Expressway: मुंबई नागपुर समृद्धि महामार्ग, जानें कब तैयार हो रहा है दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे

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मुंबई नागपुर समृद्धि महामार्ग (Hindu Hrudaysamrat Balasaheb Thackeray Maharashtra Samruddhi Mahamarg) के दिसंबर 2023 तक पूरी तरह से बन जाने का अनुमान है। यह तो महाराष्ट्र सरकार (Maharastra Government) की परियोजना है। केंद्र सरकार भी दिल्ली से मुंबई के बीच एक एक्सप्रेसवे (Expressway) बना रही है। इसका निर्माण भी जोर-शोर से हो रहा है। यह एक्सप्रेसवे भी इसी महीने करीब-करीब बन कर तैयार हो जाएगा। यह जानकारी खुद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) आज महाराष्ट्र के दौरे पर हैं। वह नागपुर में आज कई परियोजनाओं की शुरूआत करेंगे। वह आज नागपुर से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाएंगे। आज जिन परियोजनाओं की शुरूआत करेंगे, उनमें समृद्धि महामार्ग (Samruddhi Mahamarg) के पहले चरण का उद्घाटन भी शामिल है। समृद्धि महामार्ग का पहला चरण 520 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगा।

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इस महामार्ग के जिस पहले चरण को खोला जा रहा है, वह नागपुर को शिरडी (Nagpur to Shirdi) से जोड़ेगा। अभी इन दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय जो 10 घंटे का है, वह घट कर पांच घंटे का रह जाएगा। इस महामार्ग का असली नाम हिंदू हृदयसम्राट बालासाहब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग (Hindu Hrudaysamrat Balasaheb Thackeray Maharashtra Samruddhi Mahamarg) है। यह एक्सप्रसेवे महाराष्ट्र के 10 जिलों से गुजरेगा।

केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री (Minister of Road Transport and Highways) नितिन गडकरी ने शनिवार को ही मध्य प्रदेश के रीवा में बताया कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे दिसंबर तक करीब करीब पूरा almost ready हो जाएगा। इस हाइवे के बनने से दिल्ली से मुंबई तक सड़क मार्ग से केवल 12 घंटे में यात्रा की जा सकेगी। उनका कहना है कि इसके बन जाने से दिल्ली से मुंबई की यात्रा सिर्फ 12 घंटे में हो सकेगी।

यह दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे (longest expressway of world) भी है। 1380 किमी लंबा यह एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजर रहा है। इससे दिल्ली से मुंबई का सफर 12 घंटे में पूरा हो सकेगा। अभी इन दोनों शहरों के बीच यात्रा में 24 घंटे लगते हैं। मतलब यात्रा का समय घट कर आधा रह जाएगा।

यह एशिया का पहला ऐसा एक्सप्रेसवे है, जिसमें वन्यजीवों के लिए ग्रीन ओवरपास (Green Overpass) की सुविधा दी गई है। मतलब कि जंगली जानवरों को वन में विचरण करते वक्त सड़क पार नहीं करना होगा। उनके लिए सड़क के नीचे से विशेष रास्ता बनाया गया है, वहीं से पार हो जाएंगे। ऐसा नहीं होने से जंगली जानवर सड़क पर आ जाते हैं और अक्सर दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।

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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को फिलहाल आठ लेन का बनाया जा रहा है। लेकिन आने वाले दिनों में इसे 12 लेन का किया जा सकता है। इसके लिए जमीन समेत सभी व्यवस्था कर के रखी गई है। इस पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां फर्राटा भरेंगी। इसके साथ ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Industrial Corridor) का भी विकास किया जा रहा है। माना जा रहा है कि यह एक्सप्रेसवे सही मायनों में देश की प्रगति का एक्सप्रेसवे (Expressway of Progress) साबित होगा।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे आर्थिक केंद्रों से कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे इन शहरों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा। इस एक्सप्रेसवे पर हैलीपैड भी बनाने की योजना है। इससे दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा।

दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे की आधारशिला नौ मार्च 2019 को रखी गई थी। इसके निर्माण में 12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल हो रहा है। मतलब कि इतने स्टील से 50 हावड़ा ब्रिज बनाया जा सकता है। साथ ही, इसमें 35 करोड़ क्यूबिक मीटर मिट्टी और 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल हो रहा है। मतबल कि साल भर के दौरान देश में जितने सीमेंट का उत्पादन होता है, उसके दो फीसदी की खपत यहीं हो गई।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को बनाने में करीब एक लाख करोड़ रुपये लग रहे हैं। यह 1,382 किलोमीटर लंबा है। यह एक्सप्रेसवे एक्सेस कंट्रोल है।एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा होने के बाद फ्यूल की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी भी आएगी। साथ ही कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो कि चार करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। यह पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होगा। हाइवे पर हर 500 मीटर पर रेन वॉटर हार्वेसटिंग सिस्टम होगा। साथ ही एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ 40 लाख पेड़ लगाए जाने की योजना है।

इस एक्सप्रेसवे के बनने से सिर्फ दिल्ली और मुंबई के लोगों को नहीं बल्कि कई राज्यों को फायदा होगा। इस एक्सप्रेसवे का 160 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में, 374 किलोमीटर का हिस्सा राजस्थान में, 245 किलोमीटर हिस्सा मध्य प्रदेश में और 423 किलोमीटर लंबा हिस्सा गुजरात से गुजर रहा है। इससे जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे शहरों की कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी।

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