Tejas Fighter Jet: दुनिया भर के देशों में फाइट करेगा भारत का तेजस, लड़ाकू विमान की खरीदी में कई देशों ने दिखाई दिलचस्पी

Tejas Sale: भारत में तैयार होने वाले तेजस लड़ाकू विमान (Tejas Fighter Jet) की खरीदी करने के लिए अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया सहित 6 देशों से डिमांड आई है। इसकी जानकारी स्वयं रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा में 5 अगस्त को दी है।
स्वदेश के लिए यह सुखद है, क्योंकि इसे बदलते हुए भारत की एक तस्वीर मानी जा रही है, जब देश के वैज्ञानिकों की तैयार टेक्नालॉजी को दूसरे देशों में न सिर्फ पसंद किया जा रहा है बल्कि इसका उपयोग अब दूसरे देश के लोग भी करना चाह रहे हैं, यानि कि भारत अब दुनिया के दूसरे देशों से सिर्फ फाइटर जेट (Fighter Jet) खरीदेगा नहीं बल्कि बेचेगा भी।
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हेल करती है इसका निर्माण
रक्षा राज्य मंत्री भट्ट ने अपने बयान में बताए है कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी हेल (HAL) एक इंजन वाले इस फाइटर जेट का निर्माण करती है। इसके लिए पिछले साल अक्टूबर में रॉयल मलेशियाई वायु सेना ने 18 जेट विमानों के प्रस्ताव के अनुरोध का जवाब दिया था, जिसमें तेजस के 2 सीटों वाले संस्करण को बेचने की पेशकश की गई थी।
इन देशों में तेजस का तेज
रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि तेजस जैसे फाइटर जेट की अपनी खूबियां है और इसे देखते हुए अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, इंडोनेशिया और फिलिपींस ने लड़ाकू विमान की खरीदी करने में दिलचस्पी दिखाई है।
लड़ाकू विमान में यह है खास
इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में हलके फाइटर विमान को शामिल करने की तैयारी 1983 में ही शुरू हो गई थी। सरकार की हरी झंडी मिलते ही भारतीय साइंटिस्ट अपने मिशन को अंजाम देने में दिन-रात लग गए थे।
2001 में पहली बार भरी थी उड़ान
करीब 18 वर्षो तक भारतीय वैज्ञानिकों की टीम इस विमान को तैयार करने में लगी रही। वर्ष 2001 में यह विमान पहली बार भारतीय आकाश में उड़ाने भरी थी। इस विमान की ताकत और चमक को देख कर ही प्रधानमंत्री रहे श्री वाजपेयी ने इसका नाम तेजस रखा था।
तेजस में इस तरह की है अलग खूबियां
भारतीय वायु सेना के टॉप फाइटर जेटों में सुखोई, राफेल, मिराज और तेजस का नाम शामिल है। तेजस अपनी इन खूबियों की वजह से बाकी के चारों फाइटर जेट से अलग हैं।
इस विमान के 50 प्रतिशत कलपुर्जे स्वदेशी है। इस विमान में इजरायल की मॉडर्न टेक्नोलॉजी को लिया गया है। एक साथ 10 लक्ष्यों को यह निशाना बना सकता है। बेहद कम जगह यानी 460 मीटर के रनवे पर टैकऑफ कर सकता है और चौथा यह कि अन्य विमानों की बजाय यह हल्का होता है।
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