उत्तर प्रदेश: GST छापेमारी के डर से दुकानों पर लटके ताले, जान लें ये जरूरी नियम, फिर नहीं होगी टेंशन

GST छापेमारी के डर से दुकानों पर लटके ताले, इन नियमों का करें पालन, फिर नो-टेंशन...
वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी (GST) को लेकर इस समय उत्तर प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है. कई जिलों में जीएसटी विभाग की टीमें छापा मार कार्रवाई कर रही हैं. दुकानों पर जाकर सर्वे किया जा रहा है और गड़बड़ी मिलने पर जुर्माना (Fine) लगाया जा रहा है. लेकिन अगर आप जीएसटी को लेकर तय जरूरी नियमों (GST Rules) का पालन करते हैं, तो फिर आपको डरने की जरूरत नहीं. आइए जानते हैं इसके तहत क्या-क्या करना जरूरी है, जिससे आप बेफिक्र होकर अपना बिजनेस कर सकते हैं.

ऐसे वसूला जाता है जीएसटी

साफ शब्दों में समझें तो GST के तहत सामान्य रूप से टैक्स की वसूली कोई भी उत्पाद बेचने वाला यानी कारोबारी करता है. इसके बाद वह सरकार को यह Tax जमा कर देता है. भारत में जीएसटी चार प्रकार से वसूला जाता है. इसमें SGST, CGST, IGST और UGST शामिल हैं. वस्तुओं की सप्लाई (मंगाने या भेजने) पर केंद्र और राज्य के लिए GST अलग-अलग चुकाना पड़ता है.

किसी भी सौदे में CGST और SGST को मिलाकर वसूला जाता है. केंद्र शासित प्रदेशों (Union Terretories) में व्यापार होने पर SGST की जगह UTGST देना हाता है. वहीं जब कोई सप्लाई दो राज्यों के बीच होती है, तो वहां एकीकृत जीएसटी यानी IGST वसूला जाता है. 

GST से संबंधित सबसे जरूरी नियम

जीएसटी के तहत तय नियमों की बात करें तो 10 करोड़ सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को ई-चालान (E-invoicing) जरूरी है. इस नियम को इसी साल अक्टूबर 2022 में लागू किया गया है. हालांकि, यह 'बिजनेस टू बिजनेस' सौदों के लिए है. नए साल से इस नियम को 5 करोड़ के टर्नओवर पर लागू करने की भी तैयारी है. 

सामान्य श्रेणी के राज्यों में कारोबारियों के लिए जीएसटी के तय नियमों को देखें तो सालाना 40 लाख रुपये से ज्यादा के टर्नओवर पर GST रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. लेकिन Service Sector के लिए यह लिमिट 20 लाख रुपये ही रखी गई है. 1.5 करोड़ रुपये तक के सालाना टर्न ओवर पर कंपोजिशन स्कीम ले सकते हैं. 

चार स्लैब में बांटा गया GST 

GST के तहत अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर वसूली जाने वाली दरें अलग-अलग होती हैं. सरकार ने इसके लिए 4 स्लैब बनाए हैं. हालांकि, यह स्थायी नहीं है और सरकार जरूरत के हिसाब से इसे घटा या बढ़ा सकती है. 

5 फीसदी : सामान्य जरूरत की वस्तुओं पर 5% GST वसूला जाता है. चाय, काफी, मिठाई, पैकेज्ड फूड आइटम.
12 फीसदी : कम अनिवार्य वस्तुओं को 12% टैक्स स्लैब के तहत रखा गया है. जैसे कंप्यूटर, processed खाद्य पदार्थ. 
18 फीसदी : जरूरत और विलासिता के बीच की वस्तुओं पर 18% टैक्स तय है. जैसे महंगे जूते, औद्योगिक सामग्री, मिनरल वाटर.
28 फीसदी : विलासिता और नुकसानदेह चीजों को 28% टैक्स वाले स्लैब में रखा गया है. जैसे कार, एसी, सिगरेट.

किन सामानों पर कितना जीएसटी

जुलाई 2022 में बड़ा बदलाव करते हुए कई खाने-पीने के पैक्ड सामानों पर 5 फीसदी GST लगाने का निर्णय लिया गया था. इसके तहत पैकिंग वाले गेहूं, चावल, गुड़, चीनी, मुरमुरा, आटा, राई, जौ, शहद, पनीर, दही, छाछ, लस्सी, पनीर को इस दायरे में रखा है. इसके अलावा होटल में ठहरने पर बिल के साथ 12 फीसदी GST लगाया गया है. इसके अलावा कई सामानों पर दरों को 12 से 18 फीसदी किया गया है. 

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