कोरोना को लेकर चीन फिर की महा गलती ... दुनिया पर फिर पड़ रही है भारी..

ज़ीरो कोविड पॉलिसी का नतीजा ज़ीरो
आप भी जानना चाहते होंगे कि चीन में आखिर ऐसा क्या हुआ कि ज़ीरो कोविड पॉलिसी एकदम ज़ीरो साबित हो रही है. कई शहरों में लॉकडाउन लागू करने के बाद भी चीन में कोरोनावायरस एक बार फिर कोहराम मचा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक फिलहाल दुनिया में जिस तरह से महामारी का वायरस दोबारा फैल रहा है उसकी जिम्मेदारी चीन की है. WHO का कहना है कि चीन ने अपना वैक्सीनेशन कार्यक्रम ईमानदारी से नहीं चलाया. चीन में बहुत से लोगों ने वैक्सीन की पूरी डोज़ ही नहीं ली है. WHO ने चीन को चेतावनी दी है कि वो वैक्सीनेशन प्रोग्राम को लेकर गंभीर हो जाए.
पकड़ी गई चीन की चोरी
चीन में कोरोना के बेकाबू होने की बड़ी वजह इसी को माना जा रहा है कि लोगों ने वैक्सीनेशन का शेड्यूल पूरा नहीं किया है. वहीं दूसरी ओर भारत में कई एक्सपर्ट्स चीन की वैक्सीन की क्वालिटी पर भी शक जता रहे हैं. भारत की वैक्सीन ने ये साबित किया है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से भारत को बचाने में वैक्सीन ने ही बड़ा रोल निभाया है, क्योंकि जब तक ओमिक्रोन आया तब तक भारत की बड़ी आबादी टीका लगवा चुकी थी. चीन ने कोरोना से बेकाबू हुए हालातों को दुनिया से छिपाया और चीन से बाहर इसका प्रसार रोकने में सही कदम नहीं उठाए जो उसे उठाने चाहिए थे.
इसीलिए अब एक बार फिर भारत सरकार कोरोना के नए वेरिएंट्स से खुद को बचाए रखने के लिए बार बार बूस्टर डोज़ पर जोर दे रही है. सरकार कोविड के कहर से बचने के लिए दो तरफा पॉलिसी पर काम कर रही है. पहला वैक्सीनेशन और दूसरा कोरोना के वेरिएंट की पहचान के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग. ऐसे में आज आपको दोनों के बारे में जानना चाहिए.
क्या चीन वाले वेरिएंट BF 7 से है डरने की जरुरत?
पूरी दुनिया में इस वक्त 5 कोरोना वेरिएंट ऑफ कंर्सन हैं. यानी वो कोविड वेरिएंट जो खतरनाक हो सकते हैं (अल्फा, बीटा,डेल्टा, गामा और ओमीक्रोन). इसके अलावा 2 वेरिएंट ऑफ इंटरस्ट पाए गए हैं. (लाम्बडा (lambda) और MU . यानी कुल 7 वेरिएंट. इन 7 वेरिएंट्स के हज़ारों जीनोम तकरीबन 91 हज़ार 315 और उनके 409 लीनिएज भारत में पाए गए हैं.
जिस BF 7 वेरिएंट को लेकर फिलहाल खतरा जताया जा रहा है जो चीन में तबाही का कारण बन रहा है वो भी ओमिक्रोन का ही वेरिएंट हैं. और ये वेरिएंट अक्टूबर 2022 से भारत में मौजूद हैं. भारत में इस वक्त सबसे ज्यादा कोविड केस ओमिक्रोन वेरिएंट के हैं. भारत में कोरोना वेरिएंट की जीनोम सिक्वेंसिंग करने वाली टीम सीएसआईआर के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ राजेश पांडे के मुताबिक अगर भारत की बड़ी आबादी वैक्सीनेटिड ना होती तो ओमिक्रोन का ये वेरिएंट BF 7 खतरनाक साबित होता. लेकिन अब खतरा उतना बड़ा नहीं हैं. डॉ पांडे का कहना है कि चीन में वैक्सीनेशन का स्टैंडर्ड भारत के मुकाबले काफी कम है. भारतीय वैक्सीन काफी असरदार हैं जो BF 7 के खिलाफ कारगर साबित हो रही हैं.
दूसरी बूस्टर डोज़ की जरुरत पर चल रही है स्टडी
कोरोना के खतरे को देखते हुए सरकार और एक्सपर्ट्स सलाह दे रहे हैं कि अगर आपने अभी तक बूस्टर डोज़ नहीं लगवाई है तो फौरन लगवा लें. जिन लोगों ने बूस्टर डोज़ लगवा ली है उन लोगों में कितनी एंटीबॉडीज़ बाकी हैं, उसकी स्टडी की जा रही है. जिन लोगों ने बूस्टर डोज़ नहीं लगवाई है उनकी एंटीबॉडीज़ का स्तर क्या है, इस पर भी स्टडी चल रही है. दोनों की तुलना करके ये तय किया जाएगा कि क्या बूस्टर डोज को रिपीट करने की जरुरत है या नहीं है. शरीर में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए वैक्सीन ने जो हथियार तैयार किए हैं उसे एंटीबॉडीज़ कहा जाता है. ये एंटीबॉडी कोरोना का संक्रमण होने के बाद भी तैयार होती हैं.
एंटीबॉडी कितने समय तक शरीर में बाकी रहेंगी और कब तक वायरस के खिलाफ कारगर होंगी, इसका समय समय पर आंकलन किया जा रहा है. कुछ स्टडीज़ के मुताबिक वैक्सीन से मिलने वाली एंटीबॉडी 6 से 9 महीने तक कारगर रहती हैं. ऐसे में क्या हर साल कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज़ की ज़रुरत पड़ेगी? क्या हर उम्र के लोगों को Booster dose की जरुरत होती है? इस पर जल्द ही गाइडलाइंस आ सकती है.
कोरोना की प्राइमरी डोज़ के दोनों वैक्सीनेशन होने के 9 महीने के बाद बूस्टर डोज़ लगवाई जा सकती है. 18 साल से उपर का कोई भी व्यक्ति बूस्टर लगवा सकता है. अगर हाल ही में कोरोना हुआ है तो रिकवरी के तीन महीने के बाद बूस्टर डोज़ लगवाई जा सकती है.