viral news: बेटी को कुशाग्र बनाते-बनाते इंजीनियर से इनोवेटर बन गए यंग जितेंद्र...

ऐसे अनेक लोग हैं जिनका करियर संयोग से बना और बाद में वह उसी बदले हुए करियर की राह पर चलकर शिखर तक पहुंचे, साफ्टवेयर इंजीनियर से यंग इनोवटर एवं वैज्ञानिक बने सिवानी के गांव बख्तावरपुरा निवासी डा. जितेंद्र कुमार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली बेटी के स्कूल से शिकायक क्या आई उन्होंने उसे कुषाग्र बनाने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया। दिमाग तेज करने का उपाय खोजने लगे और सफल भी रहे। आज उनकी बेटी मेधावी छात्रा बन गई और वह यंग इनोवेटर बन गए हैं। वह हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
बेटी को बनाया कक्षा की मेधावी छात्रा
एमसीए में डिग्री लेने के बाद जितेंद्र की जिंदगी कम्प्यूटर पर काम करते हुए आठ साल पहले तक भली प्रकार से चल रही थी कि अचानक एक दिन तीसरी कक्षा में पढ रही उनकी बेटी रिया के स्कूल से बुलावा आया। स्कूल प्रिंसिपल ने रिया के पढाई में ज्यादा कुशल नहीं होने की बात बताई थी। इसके बाद जितेंद्र ने पढ़ाई में किसी बच्चे के कमजोर होने के कारणों और उससे पार पाने की वजहों को इंटरनेट पर तलाशना शुरू कर दिया।
हजारों लोगों को दिया प्रशिक्षिण
आज आलम यह है कि आठ साल के नए संक्षिप्त करियर में जितेंद्र कुमार दिमाग तेज करने की विधि के बारे में 18000 लोगों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। इनमें 100 से ज्यादा आइएएस, आइपीएस, डाक्टर्स, विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव, वैज्ञानिक, अनेक राजनीतिज्ञ, आइआइटी दिल्ली के अनेक शिक्षक एवं सैन्य अधिकारी शामिल हैं। वह रोहतक पीजीआइ के चिकित्सकों का सेमिनार लगाकर उन्हें एकाग्र चित्त से काम करने का प्रशिक्षण दे चुके हैं। वह रूस, जापान, नेपाल, भूटान, तिब्बत, चीन आदि देशों के शैक्षणिक संस्थानों में व्याख्यान दे चुके हैं आज जितेंद्र ब्रेन स्केनिंग के माहिर विशेषज्ञ हैं।
जितेंद्र के नाम कई उपलब्धियां
जितेंद्र के नाम मुख्य उपलब्धियां, कोमा में गए मरीज को होश लाया था। जितेंद्र रोहतक के मनोरोग विभाग के एक चिकित्सक के कोमा में गए रिश्तेदार को ब्रेन मैपिंग की मदद से होश में लाने में सफल रहे। जितेंद्र कहते हैं कि हमारा मस्तिष्क रिमोट फ्यूइंग है। मानसिक शक्तियों को डेवेलप करने के बाद हम दूर का घटनाक्रम न सिर्फ महसूस कर सकते हैं बल्कि शारीरिक तौर पर उपस्थित हुए बिना उसे देख भी सकते हैं।